Are you sure you want to report this content?
Illustration by @_ximena.arias
आज फिर ख्याल आया है बचपन का
मर्तबान में आधे भरे अचार को देख कर
जिनमें खट्टास है यादों की तो
मसालों सी सरसराहट भी है
मेरी यादों का बस्ता है
खचा खच भरा हुआ
तो ये मर्तबान आधा खाली क्यों है ?
मेरे ढक्कन खोलते ही
आज़ाद हो जाती है कुछ
वक्त की ठंड में सिकुड़ी हुई
गर्मियों की खुशबुएँ
जैसे जून की दोपहर में
तेल में नर्म होने को
छोड़ दी जाती थी
धूप की सेंक लेने
वो ठंडी कठोर अचार
जैसे उन अभ्यस्त हाथों से
बनता था एक मिश्रण प्यार का
इख्तियार बरत के हर एक अनुपात का
जैसे कोई रीत हो या परंपरा हो कोई
बेपर्दा हो जाती हैं
समय की आड़ में छुपी कुछ और यादें
जैसे छत के सीढ़ियों में
सबकी नजरें बचाये
मर्तबान खाली करते हम
जैसे उनका रख दिये जाना
महफूज़ किसी जग़ह पे
जिनको ढूंढ ही लेते थे हम
इस आधे भरे मर्तबान को
मैंने अज़ीज रखा है
और हर एक फाँक का हिसाब
खुद से ही मांगा है
ज़ोखिम सा लगता है मुझे
एक दिन तली का दिख जाना
मानो विरासत में मिली
कोई जागीर हो जैसे
मेरी लाख कोशिशों के बाद भी
ये मर्तबान खाली हो जाएगा
समय की सिलवटों में जगह बनाता
एहसास ये बचपन का
अपने तमाम गुणों को लिए खो जाएगा
और फिर घूमती फिरूँगी मैं
दुकान दर दुकान
खोजने को एक डुप्लीकेट अचार
जो कर दे एक झूठा वादा ही सही
मेल खाने का
मेरी जीभ पे बैठे एक स्वाद का
और फिर हार मान के जो लायी थी एक
दुकानदार की तिरछी नजर से बचने को
उसकी भी कर दूँगी आलोचना
निकलते हुए उसके तत्त्वों से भी
ज़्यादा कमियां उनमें
और फिर बेवज़ह अफ़सोस करूँगी
बचपन के बीत जाने का
मुझ नादान को ये समझाये कोई
बचपन के लम्हों में उलझा
ये ना अचार है ना स्वाद है
ये तो सार है उन हाथों का
जिनको खोना ही था पीढ़ियों की लहरों में
कितना स्पष्ट नजर आता है
मुझको अब इल्म इसका
जैसे अतीत स्वादिष्ट अचार सा
उनसे जुड़े लोग
आधे भरे मर्तबान से
ये जो जायका है जीभ पे चढ़ा
महज़ यादों का बुखार है
और ये समझौता कर लेना
खाने के टेबल पे पड़ी
उस तिरस्कृत डुप्लीकेट अचार से
यही तो जीवन है
How childhood doesn't obey the rules and ethics of friendship yet builds the strongest one ever !
00It's better to leave things at a beautiful turn then to pull them to ugliness.
2044 Launches
Part of the Poetry collection
Updated on September 24, 2018
(0)
Characters left :
Category
You can edit published STORIES
Are you sure you want to delete this opinion?
Are you sure you want to delete this reply?
Are you sure you want to report this content?
This content has been reported as inappropriate. Our team will look into it ASAP. Thank You!
By signing up you agree to Launchora's Terms & Policies.
By signing up you agree to Launchora's Terms & Policies.