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आज पड़ोस की अम्मा बहुत खुश थी पूछने से पता चला था की उनका बेटा आ रहा था 2 साल बाद इसलिए पुरे मोहल्ले को सर पर उठा रखा था बुढ़िया ने। . सुबह से ही नौकर चाकर को हुकुम देते फिर रही थी । अरे गोपी "आज बेटवा आवेगा ..खीर बनावे का है " जा री पास के गुमटी से चीनी ले आ खीजते हुए मुहा आज ही सब नरक होइके बा "इतना कह कामो में उलझ गए । उस दिन किसी की हिम्मत न हुए की
कोई बुढ़िया से उलझेने सके और हमारे जनरेशन के भाषा में कहे तो आगे ARGUE कर सके । .उनके घर में मानो उस दिन दिवाली हो। हो भी क्यों न आज तक अम्मा को इतना खुश किसी ने ना देखा था इन दो सालो में । जब से बाबा चले गए थे सारा बोझ इन पर ही आ गया था दो बच्चों को अकेले ही पाल पास के बड़ा किया खैर सुबह से शाम हो गए .उनके बेटे का कोई आता पता नहीं था ..कुछ देर बाद मोहल्ले के घोष बाबू आते है - "आज तुम्हारे बेटा आया है शाम को ही देखा था अपने ससुराल में था " मानो बुढ़िया का कलेजा वही पर निकला जा रहा हो ,लेकिन खुद को संभाला हँस के बोली "अरी जवान लएका है चला गया होगा ससुराल वैसे भी ई बुढ़िया के कौन देखत है आज बानी कल नइखे। .खीर बनिएली बानी ले जा बेटिया के खिअह दिये " इतना कह के अम्मा सोने चली गए लेकिन यकीन मानिये उस दिन पूरा मोहल्ला नहीं सोया था । ऐसा प्रतीत हुआ था पूर्णिमा के दिन अमावस आ गए हो ।
सीते सीते करने वाले श्री राम ने भी तो यू छोड़ दिया था साथ मगर क्यूँ ?? चंद प्रजा के बातों पर !
00this poem about the realization of truth of life n love and its not important wot u desire u get ?
20its all about a our youngster.. who wants to tell a lot to his parents a word is here.............
0041 Launches
Part of the Life collection
Published on October 12, 2016
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