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आज का भारत (पार्ट १)
भारत देश एक ऐसा देश जहाँ आपसी प्रेम की मिसाल दी जाती है ,जहाँ के धर्म का संसार दीवाना रहा है , यहाँ राजा महाराजा और राजसी ठाट बात की दुनिया में मिसाल दी जाती रही है ,
इसके अलावा यह भी कहा जाता है की अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है ,
लेकिन आज के भारत का क्या हाल है ये शायद एक भारतवासी ही जान सकता है महसूस कर सकता है , जो यहाँ रह रहा है यहाँ के माहौल से अच्छी तरह रूबरू है ,
यहाँ धार्मिक एकता तो छोड़ दीजिये एक धर्म में भी आज २०१६( जहा लोग चाँद और मंगल जैसे ग्रहो तक जा चुके है )भारत में जाति के नाम पर लोग बटें हुए है , वो भूल जाते है की भगवान् ने सिर्फ दो जातिया(स्त्री और पुरुष )बनाई है , यहाँ लोग सभी संतो के समागम में अटूट विस्वास और श्रद्धा रखते है , और ये सभी संतगण इन्हें प्रेमपूर्वक रहने की सलाह देते है वहां तो ये सभी लोग तालिया बजाकर उनके सुझावों का आलिंगन करते है , लेकिन कड़वा सच ये है की आज भी यहाँ ठाकुर , ब्राह्मण , यादव, सूद्र , बनिया और भी तमाम तरह की जातियो में बटें हुए है, श्री कृष्ण ने गीता में कर्म प्रधान समाज पर बल दिया है , महावीर कर्ण ने अपना सम्पूर्ण जीवन सिर्फ यही साबित करने में लगा दिया की जनम से अधिक करम महहत्वपूर्ण है ,
और पूरा भारतीय समाज इस बात को जनता भी है , कि सत्य यही है
किन्तु समाज इन्हें सिर्फ किताबे बातें ही मानता है , समाज में कर्म से कोई मतलब नही है यहाँ आज भी जातियो को ही महहत्वपूर्ण माना जाता है ,
प्रेम ही पूजा है है जरूर लिखते है लोग लेकिन वास्तविकता में प्रेम करना भारत में गुनाह है आज भी अंतरजातीय विवाह के चक्कर में न जाने कितने निर्दोष लोगो की बलि दे देता है ये समाज .
ये हाल तो है इस समाज का , समाज तो समाज यहाँ पे सरकार भी इन सब कामो में पीछे नही है , सरकार वोट की लालच में सामान्य वर्ग पीछा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग का नारा लगा रहा है , इस देश में जनता को सरकारी सहायता आर्थिक आधार या उसकी तकलीफ देखकर नही दी जाती अपितु उस से उसकी जाति के आधार पर सुखी या दुखी मन जाता है ,
मेरा दिल पसीज जाता है की मैं एक ऐसे सिस्टम और देश में रह रहा हूँ जो शायद इन्साफ करना जनता ही नही ,
हमारा भूतकाल जरूर स्वर्णिम था पर वर्तमान बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है ,
ये सिर्फ एक परिचय है मेरे वृस्तृत लेख का
धन्यवाद्
अंकित सिंह सेंगर
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Published on November 04, 2016
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